मुंबई, सुना तो था की सपनो का शेहेर होता है लेकिन जब कोई सपना टूटता है तो बहुत दुःख होता है। सोचा तो बहुत कुछ था मगर कुछ न हो सका। महनत तो की पर सफलता नहीं मिली। ये दुःख हमेशा रहेगा लेकिन ज़िन्दगी रुक भी तो नहीं सकती। सही कहा है किसी ने यही ज़िन्दगी है। कब तक बचोगे इससे कभी ना कभी तो सामना करना पड़ेगा। शायद इसी सोच को लेकर मैं आगे बढ़ पाऊं और अपनी ज़िन्दगी मैं सफल हो पाऊं। मुंबई नहीं तो कहीं और ही सही लेकिन वो मुंबई जाने की ख़ुशी कहीं और तो नहीं मिलेगी।
इस बहाने कुछ सिखने को मिला। सपने देखो पर एक दायरे मैं रह कर। पंख तो हर कोई चाहता है, लेकिन उड़ना बहुत कम ।
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